Notice: file_put_contents(): Write of 12247 bytes failed with errno=28 No space left on device in /var/www/tg-me/post.php on line 50
Ancient India | प्राचीन भारत | Telegram Webview: AncientIndia1/6859 -
Telegram Group & Telegram Channel
भगवान् नृसिंहदेव
वैष्णव सम्प्रदाय में भगवान् नृसिंह देव का बहुत महत्त्व है। भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक अवतार नृसिंह देव का है। नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। हिरण्यकशिपु का बड़ा ही दुष्ट असुर था जो निर्दोषो को, संतो को यहाँ तक की स्वम अपने पुत्र को भी समेत करने के लिए तत्पर रहता था क्योकि उसका पुत्र भगवन विष्णु को ही सर्वत्र देखा करता, उन्ही के नामो का हरिनाम किया करता था। जिसकी वजह से दैत्यों राज हिरण्यकशिपु अपने पुत्र को मरना चाहता था। लेकिन अपने अंत समय तक वो भगवान् विष्णु के भक्त प्रह्लाद का बाल भी बांका नही कर पाया और भगवान् के हाथो भगवत धाम को पधारा।
हिरण्यकशिपु का वध
भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए। नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया, किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ। तब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए षड्यंत्र रचे, किंतु वह सभी में असफल रहा। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था। अपने सभी प्रयासों में असफल होने पर क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परंतु जब प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई, किंतु प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया। उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु की पूजा करने लगी थी। तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता- "तेरा भगवान कहाँ है?" इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि "प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं।" क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि "क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है?" प्रह्लाद ने हाँ में उत्तर दिया। यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया। तभी खंभे को चीरकर श्रीनृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया। श्रीनृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। अत: इस कारण से इस दिन को "नृसिंह जयंती-उत्सव" के रूप में मनाया जाता है।
@ancientindia1



tg-me.com/AncientIndia1/6859
Create:
Last Update:

भगवान् नृसिंहदेव
वैष्णव सम्प्रदाय में भगवान् नृसिंह देव का बहुत महत्त्व है। भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक अवतार नृसिंह देव का है। नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। हिरण्यकशिपु का बड़ा ही दुष्ट असुर था जो निर्दोषो को, संतो को यहाँ तक की स्वम अपने पुत्र को भी समेत करने के लिए तत्पर रहता था क्योकि उसका पुत्र भगवन विष्णु को ही सर्वत्र देखा करता, उन्ही के नामो का हरिनाम किया करता था। जिसकी वजह से दैत्यों राज हिरण्यकशिपु अपने पुत्र को मरना चाहता था। लेकिन अपने अंत समय तक वो भगवान् विष्णु के भक्त प्रह्लाद का बाल भी बांका नही कर पाया और भगवान् के हाथो भगवत धाम को पधारा।
हिरण्यकशिपु का वध
भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए। नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया, किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ। तब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए षड्यंत्र रचे, किंतु वह सभी में असफल रहा। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था। अपने सभी प्रयासों में असफल होने पर क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परंतु जब प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई, किंतु प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया। उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु की पूजा करने लगी थी। तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता- "तेरा भगवान कहाँ है?" इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि "प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं।" क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि "क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है?" प्रह्लाद ने हाँ में उत्तर दिया। यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया। तभी खंभे को चीरकर श्रीनृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया। श्रीनृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। अत: इस कारण से इस दिन को "नृसिंह जयंती-उत्सव" के रूप में मनाया जाता है।
@ancientindia1

BY Ancient India | प्राचीन भारत


Warning: Undefined variable $i in /var/www/tg-me/post.php on line 283

Share with your friend now:
tg-me.com/AncientIndia1/6859

View MORE
Open in Telegram


Ancient India | प्राचीन भारत Telegram | DID YOU KNOW?

Date: |

What is Secret Chats of Telegram

Secret Chats are one of the service’s additional security features; it allows messages to be sent with client-to-client encryption. This setup means that, unlike regular messages, these secret messages can only be accessed from the device’s that initiated and accepted the chat. Additionally, Telegram notes that secret chats leave no trace on the company’s services and offer a self-destruct timer.

A project of our size needs at least a few hundred million dollars per year to keep going,” Mr. Durov wrote in his public channel on Telegram late last year. “While doing that, we will remain independent and stay true to our values, redefining how a tech company should operate.

Ancient India | प्राचीन भारत from hk


Telegram Ancient India | प्राचीन भारत
FROM USA